कत्ल

मेरे क़त्ल की कोशिश तो  उनकी निगाहों ने की थी।

पर अदालत ने उन्हें हथियार मानने से इनकार कर दिया।।

जमीर

एक निंद हैं जों लोगों कों रात भर नहीं आती...

और एक जमीर है जो हर वक्त सोया रहता है !!

मुर्दा

यहाँ जीना है तो . .

नींद में भी पैर हिलाते रहिये . .

वर्ना दफ़न कर देगा . .

ये शहर मुर्दा समझकर . .

सफा

किताब-ए-दिल का कोई सफा खाली नही होता,
मेरे दोस्त वो भी पढ लेते है,जो लिखा नही होता.

दम

छोटे से दिल में गम बहुत है,
जिन्दगी में मिले जख्म बहुत हैं,
मार ही डालती कब की ये दुनियाँ हमें,
कम्बखत दोस्तों की दुआओं में दम बहुत है.

पत्थर

जरा सा भी नही पिघलता दिल तुम्हारा,

इतना कीमती पत्थर कहाँ से खरीदा....

सजदे

सजदों में भीगती है
जिनकी आँखे
वो लोग छोटी बातों पर
रोया नहीं करते

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मौसम

मौसम बहुत सर्द है . .

चल ए दोस्त . .

गलत-फहमिओ को . .

आग लगाते हैं . .

इश्क

इश्क़ कर लीजिये बेइंतिहा किताबों से

एक यही हैं जो

अपनी बातों से पलटा नहीं करतीं

खामोशियाॅ

अच्छी लगने लगी है अब ये ख़ामोशियाँ भी हमें,

किसी को जवाब देने का सिलसिला जो ख़त्म हो गया !!

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दर्द

मेरा दर्द भी वही था
और मरहम भी वही था
महफिल में इस बात से
अनजान बचा भी वही था

लाजवाब जिन्दगी

कभी है ढेरों खुशियाँ तो,
          कभी गम बेहिसाब हैं...

इम्तिहानों से भरी जिन्दगी
          इसी लिए लाजवाब है...

तकदीर

तकदीर ही जला दी हमने ,जब जलानी थी,

अब धूऐ  पर तमाशा कैसा, और राख पर बहस कैसी |

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मोहब्बत

मोहब्बत लिबास नहीं
जो हररोज़ बदला जाए
मोहब्बत कफन है
पहनकर उतारा नही जाता

तेरी बात

एक कलम थी,
एक रात थी,
लिखने को कुछ नही,
बस तेरी बात थी ।

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दौर

मत पूछो कैसे गुजर रही है जिंदगी,

बस उस दौर से गुजर रहा हूं, जो गुजरता ही नही-----

तासीर

स्याही की तासीर का
अंदाज़ तो देखिए
खुद-ब-खुद बिखरे तो दाग
कोई और बिखेरे तो अल्फ़ाज

अपनापन

                                                                                                    
     लफ़्ज़ों में पेश कीजिएगा जनाब,
     अपनेपन की दावेदारियाँ…

     यह "शहर-ए-नुमाईश" है,
     यहाँ "अहसास के ज़ौहरी",
     नहीं रहते हैं।
                                                                                                    

ग़म

आया था एक शख़्स मेरे ग़म बाँटने को
रूख़सत हुआ तो अपने ग़म भी दे गया मुझे




नया साल

मै अगर खत्म भी हो जाऊँ
इस साल की तरह
तुम मेरे बाद भी सँवरते रहना
नये साल की तरह

फासले

फासले तो बढ़ा रहे हो मगर इतना याद रखना ,
के मोहब्बत बार बार इंसान पर मेहरबान नहीं होती |

माँ

वो अक्सर मेरे चेहरे को चूम लेती है ,
जिनके मैं पैर छूने के भी काबिल नहीं |

तकदीर

शायद फिर वो तक़दीर मिल जाये
जीवन के वो हसीं पल मिल जाये
चल फिर से बैठें वो क्लास कि लास्ट बैंच पे
शायद फिर से वो पुराने दोस्त मिल जाएँ ।

फिदा

कितना शरीफ शख्श है;
पत्नी पे फ़िदा है;
उस पे ये कमाल है कि;
अपनी पे फ़िदा है ।

गिला.

घायल किया जब अपनो ने, तो गैरो से क्या गिला करना,
उठाये है खंजर जब अपनो ने, तो जिंदगी की तमन्ना क्या करना ।

सहारा.

ज़माने मे कोई ना सहारा नज़र आया,
बस तुही एक हमारा नज़र आया,
तेरे ईश्क मे इस कदर बहते रहे,
ना तुफान नज़र आया ना किनारा नज़र आया।

तनहा.

ऑंख से ऑंख मिलाता है कोई,
दिल को खिंच लिये जाता है कोई,
बहुत हैरत है के भरी मेहफील में,
मुझ को तनहा नज़र आता है कोई।

नज़रे !

माना के आपकी नज़रो मे कुछ नही है हम,
मगर उनसे जाकर पुछो जिन्हे हासिल नही है हम।

लम्हा.

हमारा हर लम्हा चुरा लिया आपने,
आंखो को एक चांद दिखा दिया आपने,
हमे जिंदगी तो दि किसी और ने,
पर प्यार इतना देकर जिना सिखा दिया आपने !

याद.

याद दिलसे जाने ना देंगे,
तेरे जैसा आशिक खोने ना देंगे,
शराफत से कॉंटॅक्ट मे रहना,
वर्ना कान के निचे देंगे और रोने भी ना देंगे ।

सवाल.

आजभी कई सवाल है इस दिलमे,
प्यार का गम बेजुबान है इस दिलमे,
कुछ कह नही पाता ये दिल,
उस दिल के लिए आजभी प्यार है इस दिलमे ।

इश्क.

बगर जाने पहचाने इकरार ना किजीए
मुस्कूराकर दिल को बेकरार ना किजीए,
गुलाब भी दे जाते है जख्म गहरा कभी कभी,
हर गुलाब पर युं ऎतबार ना किजीए।

शिकवा.

हमे जिंदगी से कोई शिकवा नही,
कोई गिला नही की वो हमको मिला नही,
जिने के लिये उनकी यादो का सहारा बहोत है,
कोई गम नही जो वो दो कदम साथ चला नही।

शाम.

कभी इस तरह मेरे हमसफर,
सभी चाहते मेरे नाम कर,
अगर हो सके तो तु कभी,
मेरे नाम भी कोई शाम कर।