शेर जो मेरे नही, लेकिन मेरे दिल को छू गए. ऎसेही कुछ शेर आपके लिये.
तकदीर ही जला दी हमने ,जब जलानी थी,
अब धूऐ पर तमाशा कैसा, और राख पर बहस कैसी |
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