Showing posts with label मोहब्बत. Show all posts
Showing posts with label मोहब्बत. Show all posts

हुनर

मोहब्बत भी ख़त्म होती है,,,
बस लहज़े से चोट करने का,, 
हुनर आना चाहिए.

मोहब्बत

मोहब्बत लिबास नहीं
जो हररोज़ बदला जाए
मोहब्बत कफन है
पहनकर उतारा नही जाता

फासले

फासले तो बढ़ा रहे हो मगर इतना याद रखना ,
के मोहब्बत बार बार इंसान पर मेहरबान नहीं होती |