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तकदीर

शायद फिर वो तक़दीर मिल जाये
जीवन के वो हसीं पल मिल जाये
चल फिर से बैठें वो क्लास कि लास्ट बैंच पे
शायद फिर से वो पुराने दोस्त मिल जाएँ ।

पल.

पल ही ऎसा था कि हम इंकार ना कर पाए,
ना थी जिनके बिना जिंदगी मुनासिब,
छोड दिया साथ उन्होने और हम सवाल भी ना कर पाए ।