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तकदीर

तकदीर ही जला दी हमने ,जब जलानी थी,

अब धूऐ  पर तमाशा कैसा, और राख पर बहस कैसी |

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तकदीर

शायद फिर वो तक़दीर मिल जाये
जीवन के वो हसीं पल मिल जाये
चल फिर से बैठें वो क्लास कि लास्ट बैंच पे
शायद फिर से वो पुराने दोस्त मिल जाएँ ।