नगर.

दिल वह नगर नही की आबाद हो सके,

पछताओगे सुनो यह बस्ती उजाड के ।

पल.

पल ही ऎसा था कि हम इंकार ना कर पाए,
ना थी जिनके बिना जिंदगी मुनासिब,
छोड दिया साथ उन्होने और हम सवाल भी ना कर पाए ।

ऑंसू

ये ऑंसू भी कम्ब्ख्त अजीब परेशानी है,
खुशी और गम दोनो की निशानी है,
समझने वालॊ के लिए अनमोल है,
ना समझ को सिर्फ पानी है ।