फिदा

कितना शरीफ शख्श है;
पत्नी पे फ़िदा है;
उस पे ये कमाल है कि;
अपनी पे फ़िदा है ।

गिला.

घायल किया जब अपनो ने, तो गैरो से क्या गिला करना,
उठाये है खंजर जब अपनो ने, तो जिंदगी की तमन्ना क्या करना ।

सहारा.

ज़माने मे कोई ना सहारा नज़र आया,
बस तुही एक हमारा नज़र आया,
तेरे ईश्क मे इस कदर बहते रहे,
ना तुफान नज़र आया ना किनारा नज़र आया।