इश्क.

बगर जाने पहचाने इकरार ना किजीए
मुस्कूराकर दिल को बेकरार ना किजीए,
गुलाब भी दे जाते है जख्म गहरा कभी कभी,
हर गुलाब पर युं ऎतबार ना किजीए।

शिकवा.

हमे जिंदगी से कोई शिकवा नही,
कोई गिला नही की वो हमको मिला नही,
जिने के लिये उनकी यादो का सहारा बहोत है,
कोई गम नही जो वो दो कदम साथ चला नही।

शाम.

कभी इस तरह मेरे हमसफर,
सभी चाहते मेरे नाम कर,
अगर हो सके तो तु कभी,
मेरे नाम भी कोई शाम कर।