मुर्दा

यहाँ जीना है तो . .

नींद में भी पैर हिलाते रहिये . .

वर्ना दफ़न कर देगा . .

ये शहर मुर्दा समझकर . .

सफा

किताब-ए-दिल का कोई सफा खाली नही होता,
मेरे दोस्त वो भी पढ लेते है,जो लिखा नही होता.

दम

छोटे से दिल में गम बहुत है,
जिन्दगी में मिले जख्म बहुत हैं,
मार ही डालती कब की ये दुनियाँ हमें,
कम्बखत दोस्तों की दुआओं में दम बहुत है.