शेर जो मेरे नही, लेकिन मेरे दिल को छू गए. ऎसेही कुछ शेर आपके लिये.
अच्छी लगने लगी है अब ये ख़ामोशियाँ भी हमें,
किसी को जवाब देने का सिलसिला जो ख़त्म हो गया !!
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मेरा दर्द भी वही था और मरहम भी वही था महफिल में इस बात से अनजान बचा भी वही था
कभी है ढेरों खुशियाँ तो, कभी गम बेहिसाब हैं...
इम्तिहानों से भरी जिन्दगी इसी लिए लाजवाब है...