शेर जो मेरे नही, लेकिन मेरे दिल को छू गए. ऎसेही कुछ शेर आपके लिये.
स्याही की तासीर का अंदाज़ तो देखिए खुद-ब-खुद बिखरे तो दाग कोई और बिखेरे तो अल्फ़ाज
लफ़्ज़ों में पेश कीजिएगा जनाब, अपनेपन की दावेदारियाँ…
यह "शहर-ए-नुमाईश" है, यहाँ "अहसास के ज़ौहरी", नहीं रहते हैं।